उत्तराखंड

*उत्तराखण्ड में तीन सौ से ज्यादा कैदी 3 साल से फरार*

पैरोल और जमानत पर छोड़ा था वापस नहीं लौटे

देहरादून। तीन साल पहले राज्य की जेल में बंद कैदियों को पैरोल और जमानत पर रिहा तो कर दिया गया लेकिन पैरोल और जमानत पर छोड़े गए यह 300 से भी अधिक कैदी वापस जेल नहीं लौटे। जेल प्रशासन से लेकर जिलों के प्रशासन तक लापरवाही की हद देखिए कि 3 साल तक किसी ने भी इस पर गौर करने की जरूरत नहीं समझी कि यह कैदी क्यों वापस नहीं लौटे हैं और कहां हैं तथा कर क्या रहे हैं।
एक तरफ शासन-प्रशासन द्वारा अपराधियों की धर पकड़ के लिए अभियान चलाए जाते हैं तथा अपराधी किस्म के लोगों पर नजर रखी जाती है अगर वह जेल से बाहर होते हैं तो भी थानों में उनकी नियमित उपस्थिति दर्ज कराई जाती है। वहीं कोरोना काल में 300 से भी अधिक कैदियों को शासन प्रशासन द्वारा पैरोल और जमानत पर रिहा तो कर दिया गया। मगर उनकी जमानत या पैरोल की अवधि समाप्त होने के बाद भी सालों साल इस बात की खबर नहीं ली गई कि वह कहां है और क्यों वापस नहीं आए कहीं वह फिर से अपराधों में सम्मिलित तो नहीं हो चुके हैं।
3 साल का समय गुजरने के बाद अब जेल प्रशासन को यह होश आया है कि यह कैदी वापस क्यों नहीं आए? अब इनका पता लगाने के लिए जिले के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है कि वह अपने-अपने जिलों के इन फरार कैदियों की तलाश करें। यह अजीब बात है कि जब किसी मुकदमे में आरोपी एक दो तारीख पर भी गैर हाजिर हो जाता है तो कोर्ट से वारंट इशू हो जाते हैं और पुलिस उसे ढूंढती हुई उसके घर और ठिकानों तक पहुंच जाती है मगर 3 साल से फरार चल रहे इन कैदियों को वापस जेल बुलाने में इस तरह की घोर लापरवाही बरती गई है। शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा पैरोल पर जाने वालों की संख्या 81 बताई जा रही है लेकिन जमानत पर कुछ कैदियों को छोड़ा गया था। संख्या कम या अधिक हो सकती है लेकिन यह घोर लापरवाही का एक नमूना जरूर है।

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