*एम्स ने इस जानलेवा बीमारी से बचाव के प्रति हेल्थ एडवाईजरी जारी करते हुए कहा कि अलर्ट रहिए खतरनाक बीमारी डेंगू का प्रकोप शुरू*
ऋषिकेश (शिवराज पोसवाल )
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने इस बारे में बताया कि डेंगू की रोकथाम के लिए जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति इन बीमारियों के लक्षणों के बारे मे सचेत रहें और बीमारी के फैलने के प्रति उचित जानकारी रखे। स्कूली बच्चों को चाहिए कि डेंगू से बचाव के लिए फुल बाजू के कपड़े जरूर पहिनें। साथ ही उन्होंने कहा कि डेंगू, एक मौसमी बीमारी है, जो भारत में मुख्य रूप से जुलाई से अक्टूबर तक अपने पैर पसारती है। मादा एडीज मच्छर के काटने से पैदा होने वाले इस रोग में शरीर के प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगते हैं और रोगी की इम्युनिनिटी बहुत कमजोर हो जाती है। प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि छोटी आयु वाले बच्चों, डायबिटीज, अस्थमा तथा हृदय रोग वाले मरीजों में डेंगू संक्रमण का खतरा सर्वाधिक होता है।
एम्स के सामुदायिक एवं फेमिली मेडिसिन विभाग के ऐडिशनल प्रोफेसर और आउटरीच सेल के नोडल ऑफिसर डा. संतोष कुमार ने बताया कि डेंगू बीमारी तब फैलती है जब एडीज मच्छर पहले से डेंगू संक्रमित व्यक्ति को काटता है। इस स्थिति में संक्रमित व्यक्ति से डेंगू का वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसकी अवधि 4 से 7 दिन तक होती हैं इसके बाद यह संक्रमित मच्छर व्यक्ति को काटता हैं यह वायरस व्यक्ति के रक्तप्रवाह के जरिये शरीर मे तेजी से फैलना शुरू कर देता है। उन्होंने बताया कि का एडीज मच्छर अधिकतर ठहरे हुए साफ पानी में ही पनपता है। डेंगू का कारण एक प्रकार का वायरस है जो मच्छर से फैलता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद डेंगू का वायरस 3-10 दिनों के भीतर लक्षण पैदा करता है। डॉ.संतोष ने बताया कि अगर शरीर मे तेज बुखार के साथ लाल रंग के चिकते या रक्तस्राव होने लगे तो यह डेंगू का रक्तस्रावी बुखार होता है। इस बीमारी को ध्यान में रखते हुए हम जागरूक रहकर अपना बचाव कर सकते हैं | एम्स ऋषिकेश के सोशल आउटरीच सेल ने सेवन प्लस वन इनिशेटिव प्रोग्राम के जरिये डेंगू पर नियंत्रण करने प्रभावशाली प्रोग्राम बनाया हैं जिसका नाम हैं सेवन प्लस वन प्रोग्राम हैं यह प्रोग्राम 2019 से संचालित किया गया था और तब से ऋषिकेश में डेंगू के केस में काफी नियंत्रण हुआ हैं जिसमे नगर निगम ऋषिकेश एवं स्वास्थ्य विभाग का सहयोग हमेशा से ही मिलता रहा हैं |
इस प्रोग्राम के अंतर्गत लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है और उनके व्यवहारिक परिवर्तन द्वारा मनोवैज्ञानिक ढंग से डेंगू जैसी महामारी से लड़ने के लिए उन्हें सक्षम बनाता है | इसके मुख्य चरण हैं जिनका हम सेवन प्लस कार्यक्रम में पालन करते हैं –
यह “सेवन प्लस वन” अभियान आशा / ए.एन.एम /नगर आयुक्त /ग्रामप्रधान के निगरानी में आसानी से किया जा सकता है |
डेंगू सेवन प्लस वन के कार्यकम के मुख्य चरण हैं:-
डेंगू से बचाव एवं नियंत्रण के लिए स्थानीय लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना एवं व्यवहार परिवर्तन तथा मनोवैज्ञानिक ढंग से डेंगू जेसी महामारी से लड़ने के लिए सक्षम बनाना।
डेंगू नियंत्रण एवं बचाव के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में बहुउद्देशीय टीम का गठन करना एवं बहुउद्देशीय टीम को आशा/ए.एन.एम./ क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा प्रशिक्षण देना।
अपनी बस्ती, गांव और संवेदनशील क्षेत्रों में समय-समय पर जन जागरूकता कार्यक्रम करना।
क्रियाविधि:-
1. सेवन प्लस वन कार्यक्रम के अंतर्गत सर्वप्रथम अपने शहर, निगम या क्षेत्र में उन लोगों को चिन्हित कीजिए जहां पर विगत वर्ष डेंगू के अधिक मरीजों को देखा गया था तथा उन स्थानों को चिन्हित कीजिए जहां पर अधिक मच्छर होने की संभावना है। इस प्रक्रिया को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की मैपिंग (हॉट-स्पॉट मैपिंग ) या सोशल मैपिंग कहते हैं।
2. इसके पश्चात चिन्हित जगहों में अधिक मच्छरों वाले प्रजनन स्थलों की पहचान की जाती है।
3. इस कार्यक्रम के अगले चरण में बहुउद्देशीय टीम का गठन किया जाता है, जिसमें ए.एन.एम, आशा, स्वास्थ्यकर्मी, एनजीओ, स्थानीय स्वयंसेवीयो को सम्मिलित किया जाता है तथा आशा एवं स्वास्थ्यकर्मी द्वारा इन सभी लोगों को गहन प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें मच्छर और उसके प्रजनन-चक्र को लोगों को बताया जाता है जिसकी क्रियाविधि आगे विस्तार से बतायी गयी है।
4. बहुउद्देशीय टीम द्वारा डेंगू संवेदनशील समुदाय में जन-जागरूकता अभियान चलाएगा जिसमें सभी लोगों को डेंगू से बचने के उपाय जैसे-
• पानी का इकट्ठा ना होना,
• घर में स्वच्छता करना,
• गमलों, कूलर में भरे पानी को समय-समय पर बदलना,
• बस्ती में मच्छरों के प्रजनन स्थानों, छत पर रखे टायर, बोतल, टूटे हुए बर्तन, प्लास्टिक का सामान, गड्ढों एवं अन्य जिसमें पानी रुक सकता हो तथा निर्माणाधीन भवनों में रुका पानी आदि को नष्ट करना और इनको समय-समय पर चेक करना।
उपयुक्त उपायों के लिए समाज में लोगों का व्यावहारिक परिवर्तन के साथ समय-समय पर अनुसरण भी करवाना अति आवश्यक है।
5. बहुउदेशीय टीम के साथ चिन्हित क्षेत्रों पर एक साथ प्रजनन स्थलों का सामुहिक विनाश।
6. संभावित डेंगू बस्तियों में बुखार के लक्षणों वाले लोगों की पहचान तथा उनको सुरक्षा के उपाय बताना जिससे डेंगू आगे ना बढ़ सके।
डेंगू के लक्षण :-
अचानक तेज बुखार,
सर दर्द,
हाथ पैरों में दर्द,
पेट में दर्द,
पेट में दर्द,
आंखों के पीछे वाले भाग में दर्द,
नाक-मसूड़ों से खून आना,
मांसपेशियों में जकड़न,
जोड़ों में अत्यधिक दर्द,
शरीर में लाल रंग के चकत्ते होना,
आमतौर पर डेंगू बुखार सामान्य बुखार के साथ धीरे-धीरे 104 फारेनहाइट डिग्री बुखार तक पहुंच जाता है।
इसके विशेष लक्षण हैं। इसका बुखार तीन प्रकार का होता है।
हल्का डेंगू बुखार,
डेंगू रक्तस्रावी बुखार
डेंगू शॉक सिंड्रोम।
ऐसे संक्रमित रोगियों को एक स्थान पर आराम करने के लिए बोलना और अधिक बुखार होने पर केवल पानी और पेरासिटामोल का सेवन करने के साथ सुरक्षा के उपायों में फुल-बाजू के कपड़े पहनना, दिन में मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दे, जिससे कि मच्छर उनको ना काट सके तथा उनके शरीर के विषाणु किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति में ना पहुंच सके।
यह रक्त स्त्राव के लक्षण है, ऐसे मरीजों को तुरंत चिकित्सा परामर्श हेतु अस्पताल भेजना चाहिए उपरोक्त कार्यक्रम मोहल्ले, गाँव में सभी चिन्हित बस्तियों में लगातार सात दिन एक घंटे प्रतिदिन करने से मच्छर के लार्वा समाप्त हो सकते हैं व डेंगू से मुक्त हो सकते हैं।
बचाव-
पानी के बर्तन या टंकी को हर समय ढककर रखें।
साफ और स्वच्छ पानी का ही सेवन करें।
खाली बर्तनों की सतहों को अच्छी तरह साफ करने के बाद उन्हें उल्टा करके रखें।
फुल बाजू के कपड़े पहिनें और मच्छरदानी का उपयोग करें।
आस-पास पानी इकट्ठा न होने दें और ठहरे हुए पानी में कीटनाशक दवा का छिड़काव करें ताकि मच्छर के लार्वा नष्ट हो जायं।
रूके हुए पानी को कीटाणुरहित करते रहें।
लक्षण नजर आने पर तत्काल डॉक्टर से परामर्श लें और रक्त की जांच करवाएं।